12 . ताड़ासन

ताड़ासन में शरीर की मुद्रा ताड़ के वृक्ष के समान सीधी और लम्बी होती है । इसलिए इसे ' ताड़ासन ' कहते हैं ।




प्रायोगिक विधि - दरी या कम्बल पर सीधे खड़े होकर दोनों ऐड़ियों को मिलाएँ और दोनों पंजों को 45° कोण पर रखें । सम्पूर्ण शरीर को सीधा रखें । लम्बी साँस लेकर दोनों हाथों को ऊपर ले जाएँ , फिर कुम्भक लगाएँ । हथेलियों को सामने की ओर रखें । ऐड़ियों को ऊपर उठाकर पंजों के बल खड़े होकर पुरे शरीर को ऊपर की ओर तान दें । यह आसन साँस रुकने की सरलता तक करें । साँस छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएँ और ऐड़ियों को भूमि पर टिकाकर आसन खोल दें ।यह आसन भूमि पर लेटकर भी लगाया जा सकता है । दीवार के सहारे शरीर को चिपकाकर भी यह आसन लगाया जा सकता है ।

ताड़ासन में ध्यान - इस आसन में ध्यान लगाने से आशातीत लाभ होता है । सिद्धि प्राप्त करने के लिए इस आसन में ' ध्यान ' लगाना उपर्युक्त होता है ।

लाभ - यह आसन स्त्री - पुरुषों के शरीर की लम्बाई बढ़ाने और मोटापा दूर करने के लिए अत्यन्त उत्तम है । मेरुदंड के झुकाव को सीधा करने , नाभि - पेट को सुडौल बनाने , वक्षों की सुडौलता बनाने के साथ - साथ रक्त संचालन में लाभ पहुँचाता है । इससे कमर दर्द साइटिका , सर्वाइकल स्पोन्टीलाइट्स आदि रोग ठीक होते हैं । इससे शरीर का स्नायुमंडल भी स्वस्थ होता है ।

सावधानियाँ-
1. उत्तर की और सिर करके लेटकर यह आसन लगाना चाहिए ।
2 . आसन में शरीर का संचालन धीरे - धीरे करना चाहिए ।