4 . ज्ञानमुद्रा आसन

प्रायोगिक विधि - तर्जनी उँगली को मोड़कर अंगूठे की जड़ में , बीच में या सिरे पर लगाइए । शेष तीनों उँगलियों को मिलाकर फैलाइए । सुखासन , पद्मासन या सिद्धासन की मुद्रा में बैठकर दोनों हाथों को घुटनों पर रखें ।
 ज्ञान मुद्रा आसन में ध्यान - यह चिन्तन करने का आसन है । किसी विषम या उलझन से भरे विषय पर सोचना हो , तो यह मुद्रा उसमें अप्रत्याशित सहायता करती है । अनेक भारतीय ऋषि दार्शनिकों ने अपने दार्शनिक तथ्यों का चिन्तन इसी मुद्रा में किया है ।

 लाभ - मानसिक शान्ति , एकाग्रता का विकास , विचारों की तारतम्यता का विकास ।

सावधानी -
 1 . मुँह उत्तर दिशा की ओर करके यह आसन न लगाएँ ।