6 . पद्मासन

‘ पद्म ' का अर्थ कमल है । अनेक योगियों का कथन है कि इस आसन के पूरा होने पर शरीर की मुद्रा एक कमल जैसी होती है , इसलिए इसे पद्मासन कहते हैं । यह भी अर्थ ठीक है , लेकिन वस्तुतः इसे पद्मासन इसलिए कहते हैं कि इसमें बैठकर मनुष्य अपनी चेतनारूपी कमल को विकसित करता है ।



पद्मासन योग - साधना का एक विशिष्ट आसन है । इसमें शरीर की उन सभी पेशियों का व्यायाम होता है , जो प्रयोग में न आने के कारण दृढ़ हो गई होती हैं । इसके साथ ही यह मस्तिष्क में शुद्ध रक्त प्रवाहित करने की प्रक्रिया तेज कर देता है । यही कारण है कि ध्यान लगाने के लिए इस आसन को सर्वोत्तम माना जाता है ।
 प्रायोगिक विधि - भूमि पर बिछे कम्बल या दरी को चार परतों में मोड़ कर बिछा लें । उस पर दोनों टांगों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाइए । अब दायीं टांग को पिंडली और पैरों से पकड़कर धीरे - धीरे घुटने पर से मोड़ें । 90° के कोण के बाद टांग को मोड़ने में कठिनाई होती है । इसके लिए धीरे - धीरे अभ्यास करें , चाहे इसमें कई दिन क्यों न लग जाएँ ।
अब दाहिने पैर के गट्ठे  और पंजे को  पकड़े और दाहिनी टांग को थोड़ा ऊपर उठाते हुए अन्दर की ओर खींचिए । इसके अभ्यास में भी समय लगता हैं । दाहिने पैर की ऐड़ी बाई जांघ की जड़ से लगाकर कस लें । अब बाई टांग को घुटने से मोड़कर  गट्ठे को बाएँ हाथ से तथा पंजे को दाहिने हाथ से पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाइए । बाएँ पैर की ऐड़ी को दाई जाँघ की जड़ में सटा दीजिए । फिर ज्ञानमुद्रा में उँगलियों को करके घुटनों पर रखिए । कमर , पीठ रीढ़ गर्दन सीधी रखिए ।

 पद्मासन में ध्यान – पद्मासन की अवस्था मानसिक एकाग्रता के लिए सर्वोत्तम समझी आती है । इसमें ' ध्यान  लगाकर दार्शनिक , व्यवसायिक, राजनीतिक, पारिवारिक किसी भी जटिल समस्या का हल ढूँढा जा सकता है । शर्त केवल यह है कि आपको इस आसन में ध्यान को एकाग्र करने का पूर्ण अभ्यास हो ।
त्राटक के अभ्यास में भी इसी आसन का प्रयोग किया जाता है । त्राटक साधना के  कई सोपान हैं । केवल किसी बिन्दु पर ध्यान को एकाग्र करके ही अप्रत्याशित मानसिक शक्ति प्राप्त होती है । इसके पश्चात् आँखें बन्द करके अंधेरे में ज्योति-बिन्दु को खोजने का अभ्यास किया जाता है । इसके सात सोपान हैं । इसके बाद इस ध्यानाभ्यास का प्रयोग कुंडलिनी को जागृत करने में किया जाता है ।

लाभ - यदि आप केवल पद्मासन लगाकर व्यायाम करते हैं और ध्यान नहीं लगाते , तो आपको वात - रोग , पेट - रोग , गठिया , कब्ज आदि रोगों में आशातीत लाभ होगा ।
यदि इस आसन में ध्यान लगाते हैं , तो इसके लाभ असीमित हैं । ध्यान के एक उच्च स्तर पर आपमें अलौकिक शक्तियों का समावेश हो सकता है । शरीर की सुघड़ता , कान्ति , दीर्घ यौवन सहज में ही प्राप्त होते हैं ।

सावधानी-
 1 . उत्तर की ओर मुँह करके न बैठे ।
 2 . समतल भूमि पर आसन लगाएँ ।
 3 . मोटे थुलथुले व्यक्ति को पहले शरीर को सुडौल बनाने और मोटापा दूर करने वाले आसनों का अभ्यास करना चाहिए ।
 4 . यह आसन थोड़ा कठिन है । किसी काम में जल्दबाजी न करें । प्रत्येक पैर को मोड़ने का अभ्यास धीरे - धीरे करें ।
 5 . रात में दोनों पैरों के गट्ठे पर सरसों के तेल की मालिश करें ।
 6 . पहले 5 सेकेण्ड से प्रारम्भ करके सामान्य साधक को इस आसन को 15 मिनट तक करना चाहिए ।