मकड़े की आकृति में शरीर की मुद्रा बनाकर इस आसन को लगाया जाता है इसीलिए इसे मकरासन कहते हैं ।
प्रायोगिक विधि - भूमि पर आसन बिछाकर पीठ के बल लेट जाएँ । | अपनी टाँगों को चित्रानुसार मोड़े । पाँवों में थोड़ा अन्तर रखें । ऐड़ियाँ नितम्बों से मिली हुई रखें । अब साँस भरकर , रोककर घुटने दायीं ओर तथा गर्दन बायीं ओर करके कुछ क्षण रुकें । पांव की स्थिति ऐसी हो कि ऊपर वाला घुटना नीचे वाले पांव की ऐड़ी के पास रहे । अब सांस बाहर निकालते हुए आसान तोड़ें । सांस पुनः भरें और दूसरी ओर से यही मुद्रा बनाएं । सांस त्याग करें और आसन तोड़ दें ।
विधि - भूमि पर आसन बिछा कर पीठ के बल लेट जाएं । दोनों हाथों को कंधों के बराबर फैला लें । हथेलियों को ऊपर की ओर करके रखें । दोनों पांवों को मिलाकर 45° का कोण बनाते हुए टांगों को ऊपर उठाएं । अब पांवों को दाईं ओर ले जाएं । दोनों हाथों को ताने । सांस भरते हुए गर्दन को बाईं ओर पूरी तरह मोड़े । पांवों को पूर्व की स्थिति में लाकर सांस छोड़े । फिर टांगों को बाईं ओर करके गर्दन दाईं ओर मोड़ें । यह क्रिया चार - पांच बार की जा सकती है ।
मकरासन में ध्यान - मकरासन में स्वाधिष्ठान - चक्र पर ध्यान लगाया जाता है ।
लाभ - मेरुदंड के रिंग खुलते है एवं मेरुदंड लचीला होता है। हृदय एवं रक्तचाप के रोगी का रोग दूर होता है। रक्त संचार तेज़ होता है । पेट की आंत को बल मिलता है । कब्ज़ की समस्या दूर होती है । कमर ,गर्दन , बाहों और जांघो की पेशियां मजबूत एवं लचीली होती है।
इस आसन से शारीरिक सौंदर्य में आशातीत परिवर्तन आता है । त्वचा में चमक और निखार के साथ शरीर सुडौल होता है । स्त्रियों को यह आसन स्वास्थ्य के साथ साथ अनेक रोगी से मुक्ति दिलाता है।
प्रायोगिक विधि - भूमि पर आसन बिछाकर पीठ के बल लेट जाएँ । | अपनी टाँगों को चित्रानुसार मोड़े । पाँवों में थोड़ा अन्तर रखें । ऐड़ियाँ नितम्बों से मिली हुई रखें । अब साँस भरकर , रोककर घुटने दायीं ओर तथा गर्दन बायीं ओर करके कुछ क्षण रुकें । पांव की स्थिति ऐसी हो कि ऊपर वाला घुटना नीचे वाले पांव की ऐड़ी के पास रहे । अब सांस बाहर निकालते हुए आसान तोड़ें । सांस पुनः भरें और दूसरी ओर से यही मुद्रा बनाएं । सांस त्याग करें और आसन तोड़ दें ।
विधि - भूमि पर आसन बिछा कर पीठ के बल लेट जाएं । दोनों हाथों को कंधों के बराबर फैला लें । हथेलियों को ऊपर की ओर करके रखें । दोनों पांवों को मिलाकर 45° का कोण बनाते हुए टांगों को ऊपर उठाएं । अब पांवों को दाईं ओर ले जाएं । दोनों हाथों को ताने । सांस भरते हुए गर्दन को बाईं ओर पूरी तरह मोड़े । पांवों को पूर्व की स्थिति में लाकर सांस छोड़े । फिर टांगों को बाईं ओर करके गर्दन दाईं ओर मोड़ें । यह क्रिया चार - पांच बार की जा सकती है ।
मकरासन में ध्यान - मकरासन में स्वाधिष्ठान - चक्र पर ध्यान लगाया जाता है ।
लाभ - मेरुदंड के रिंग खुलते है एवं मेरुदंड लचीला होता है। हृदय एवं रक्तचाप के रोगी का रोग दूर होता है। रक्त संचार तेज़ होता है । पेट की आंत को बल मिलता है । कब्ज़ की समस्या दूर होती है । कमर ,गर्दन , बाहों और जांघो की पेशियां मजबूत एवं लचीली होती है।
इस आसन से शारीरिक सौंदर्य में आशातीत परिवर्तन आता है । त्वचा में चमक और निखार के साथ शरीर सुडौल होता है । स्त्रियों को यह आसन स्वास्थ्य के साथ साथ अनेक रोगी से मुक्ति दिलाता है।