इस आसन को लगाकर नाभि को देखते हैं । इसलिए इसे ‘ नाभिकादर्शनासन ' या ' नाभीदर्शनासन ' कहते हैं ।
प्रायोगिक विधि - भूमि पर कम्बल या दरी बिछा लीजिए । टांगें सामने की ओर फैला लीजिए । दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जाकर हथेलियों को भूमि पर टिका दीजिए । नाभिकादर्शनासन पूरक करते हुए नितम्बों को ऊपर उठाकर ऐड़ियों एवं हथेलियों पर भार डालते हुए शरीर को ऊपर उठाइए । शरीर को इतना ऊपर उठाइए कि पैरों के पास भूमि से 30° का कोण बन जाए । कुम्भक लगाते हुए गर्दन को ऊपर उठाइए और अपनी नाभी को देखिए । z,saजितनी देर सरलता से सांस रोककर इस आसन को लगाए रख सकते हैं , लगाएं । आसन पूरक करते हुए तोड़े और शवासन में विश्राम कीजिए ।
नाभीदर्शनासन में ध्यान - इस आसन में नाभि पर ध्यान लगाएं ।
लाभ - - मधुमेह के रोग में यह आसन लाभप्रद है । हाथ - पैरों की नसें , पेशियाँ , नाड़ियाँ स्वस्थ और मजबूत होती हैं । रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है । आंखों की रोशनी बढ़ती है । | नाभि कमल का ध्यान हृदय को प्रफुल्ल करके तन - मन में स्फूर्ति प्रदान करता है ।
सावधानियाँ
1 . उत्तर की ओर सिर करके आसन न लगाएं ।
2 . अभ्यास करने से ही कमर सीधी ऊपर उठती है । स्मरण रखें कि टांगों के घुटने न मुड़ने पाएं ।
प्रायोगिक विधि - भूमि पर कम्बल या दरी बिछा लीजिए । टांगें सामने की ओर फैला लीजिए । दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जाकर हथेलियों को भूमि पर टिका दीजिए । नाभिकादर्शनासन पूरक करते हुए नितम्बों को ऊपर उठाकर ऐड़ियों एवं हथेलियों पर भार डालते हुए शरीर को ऊपर उठाइए । शरीर को इतना ऊपर उठाइए कि पैरों के पास भूमि से 30° का कोण बन जाए । कुम्भक लगाते हुए गर्दन को ऊपर उठाइए और अपनी नाभी को देखिए । z,saजितनी देर सरलता से सांस रोककर इस आसन को लगाए रख सकते हैं , लगाएं । आसन पूरक करते हुए तोड़े और शवासन में विश्राम कीजिए ।
नाभीदर्शनासन में ध्यान - इस आसन में नाभि पर ध्यान लगाएं ।
लाभ - - मधुमेह के रोग में यह आसन लाभप्रद है । हाथ - पैरों की नसें , पेशियाँ , नाड़ियाँ स्वस्थ और मजबूत होती हैं । रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है । आंखों की रोशनी बढ़ती है । | नाभि कमल का ध्यान हृदय को प्रफुल्ल करके तन - मन में स्फूर्ति प्रदान करता है ।
सावधानियाँ
1 . उत्तर की ओर सिर करके आसन न लगाएं ।
2 . अभ्यास करने से ही कमर सीधी ऊपर उठती है । स्मरण रखें कि टांगों के घुटने न मुड़ने पाएं ।