32 . उत्कटासन

यह आसन हवा में नितम्ब को स्थापित करके बैठने की मुद्रा में लगाया जाता है ।




प्रायोगिक विधि - 1 . दरी या कम्बल पर सीधे खड़े हो जाइए । मुद्रा ' सावधान ' की रहनी चाहिए । दोनों हाथ कमर पर रखिए । घुटनों को मोड़ते हुए कुर्सी पर बैठने की मुद्रा बनाइए । जाँघों और घुटनों की स्थिति सम रेखा में होनी चाहिए । घुटने और पैरों के अंगूठे सम रेखा में हों अर्थात घुटनों पर 75 ' का कोण बनना चाहिए । । 2 . सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को सिर पर रखें । धीरे - धीरे घुटनों को मोड़ते हुए रेचक कीजिए । झुकते हुए नितम्बों को ऐड़ियों पर रखकर बैठ जाइए । पूरक करते हुए उठिए ।

 उत्कटासन में ध्यान – दूसरी विधि के उत्कटासन में पीठ के मध्य रीढ़ की हड्डी , हृदय और त्राटक बिन्दु पर ध्यान एकाग्रचित्त करें । ।

लाभ - कमर - दर्द , साइटिका , गठिया , हर्निया , पथरी आदि व्याधियों में इस आसन से आशातीत लाभ होता है । पिंडलियाँ , कमर , घुटने , जाँघों आदि की हड़ियों और पेशियों में मजबूती तथा लचीलापन आता है ।

सावधानी 

1 . उत्तर दिशा की ओर मुँह करके आसन न लगाएँ ।
 2 . आसन का अभ्यास धैर्य के साथ करें ।