इस आसन में पद्मासन , बद्ध - पद्मासन एवं योग मुद्रा – तीनों का योग है । इसलिए इसे बद्ध - पद्मासन योगमुद्रा कहते हैं ।
प्रायोगिक विधि - भूमि पर आसन बिछाकर सर्वप्रथम पद्मासन को मुद्र में आसन लगाएँ । तत्पश्चात् बद्ध - पद्मासन की मुद्रा अपनाइए । सौस को हरा बॉए । फिर इक करते हुए ( धीरे - धीरे सँस बाहर निकालते हुए ) धीरे - धीरे कमर से आगे की ओर झुकिए । झुकते - झुकते अपनी नाक और सिर इनन पर टिक जोजिए । अब तक आप पूर्ण सौस बाहर निकाल चुके होंगे । | अब वा कुक कोजिए , साँस रोकिए ) । इस मुद्रा में सरलतापूर्वक इतनी देर हु सकते हैं । हैं । इसके बाद धीरे - धीरे | र लेटे हुए पूरक ८ ) आपस बद्ध - टुमान की मुद्रा में आ जाइए । | पुनः उपर्युक्त क्रिया देहराइए । अन्तर केवल इतना ही है कि इस बार आप नाक को भूमि पर न लगाकर दाएँ बद्ध - पद्मासन योग मुद्रा - 1 घुटने पर लगाएँ । यह क्रिया भी रेचक करते हुए करें । फिर सरलतापूर्वक जितनी देर रह सकते हैं , इस मुट्रा में रहें । अब पूरक करते हुए | वद्ध - पद्मासन की मुद्रा में आ जाएँ । पुन : तीसरी बार रेचक करते हुए यही क्रिया दुहराइए । इस बारआपकी नाक बाएँ घुटने से लगनी चाहिए । सरलतापूर्वक जितनी देर इस मुद्रा में रह सकते हैं , रहिए । फिर पूरक करते हुए बद्धपद्मासन की | मुद्रा में आ जाइए । | इन तीनों क्रियायें | को एक चक्र कहते हैं । प्रारम्भ में एक चक्र बद्ध पद्मासन योग मुद्रा - 3 पर्याप्त है । बाद में इसकी संख्या बढ़ाते हुए पाँच चक्र तक अभ्यास किया जा सकता है । अब पहले बंध खोलिएं । फिर पद्मासन भी खोल लीजिए ।
बद्ध - पद्मासन योग मुद्रा में ध्यानबद्ध - पद्मासन योगमुद्रा में मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र तक ध्यान लगया जा सकता है । इसमें त्राटक का ध्यान भी लगाया जा सकता है ।
लाभ - पद्मासन , बद्ध - पद्मासन एवं योग मुद्रा से सम्बन्धित सभी लाभ इस एक आसन में मिल जाते हैं । अतिरिक्त लाभ के रूप में इससे सम्पर्ण शरीर की सुडौलता , लचीलापन , सुघड़ता प्राप्त होती है । सम्पूर्ण शरीर की कान्ति का विकास होता है । इस आसन का ध्यान चेतना की स्फूर्ति , आनन्द , एकाग्रता , प्रफुल्लता आदि सहज में प्रदान करता है । गहरा ध्यान विलक्षण शक्तियों को जन्म देता है ।
सावधानियाँ :
1 . उत्तर दिशा की ओर मुँह करके आसन न लगाएँ ।
2 . शरीर के किसी भी अंग का संचालन झटके से या जोर देकर न करें ।
3 . प्रारम्भ में कमर से झुकते समय आप अधिक नहीं झुक सकते । । धीरे - धीरे अभ्यास करते रहने से ही सफलता प्राप्त होती है ।
4 . प्रत्येक दिन शरीर के जोड़ों पर सरसों तेल की मालिश करें ।
प्रायोगिक विधि - भूमि पर आसन बिछाकर सर्वप्रथम पद्मासन को मुद्र में आसन लगाएँ । तत्पश्चात् बद्ध - पद्मासन की मुद्रा अपनाइए । सौस को हरा बॉए । फिर इक करते हुए ( धीरे - धीरे सँस बाहर निकालते हुए ) धीरे - धीरे कमर से आगे की ओर झुकिए । झुकते - झुकते अपनी नाक और सिर इनन पर टिक जोजिए । अब तक आप पूर्ण सौस बाहर निकाल चुके होंगे । | अब वा कुक कोजिए , साँस रोकिए ) । इस मुद्रा में सरलतापूर्वक इतनी देर हु सकते हैं । हैं । इसके बाद धीरे - धीरे | र लेटे हुए पूरक ८ ) आपस बद्ध - टुमान की मुद्रा में आ जाइए । | पुनः उपर्युक्त क्रिया देहराइए । अन्तर केवल इतना ही है कि इस बार आप नाक को भूमि पर न लगाकर दाएँ बद्ध - पद्मासन योग मुद्रा - 1 घुटने पर लगाएँ । यह क्रिया भी रेचक करते हुए करें । फिर सरलतापूर्वक जितनी देर रह सकते हैं , इस मुट्रा में रहें । अब पूरक करते हुए | वद्ध - पद्मासन की मुद्रा में आ जाएँ । पुन : तीसरी बार रेचक करते हुए यही क्रिया दुहराइए । इस बारआपकी नाक बाएँ घुटने से लगनी चाहिए । सरलतापूर्वक जितनी देर इस मुद्रा में रह सकते हैं , रहिए । फिर पूरक करते हुए बद्धपद्मासन की | मुद्रा में आ जाइए । | इन तीनों क्रियायें | को एक चक्र कहते हैं । प्रारम्भ में एक चक्र बद्ध पद्मासन योग मुद्रा - 3 पर्याप्त है । बाद में इसकी संख्या बढ़ाते हुए पाँच चक्र तक अभ्यास किया जा सकता है । अब पहले बंध खोलिएं । फिर पद्मासन भी खोल लीजिए ।
बद्ध - पद्मासन योग मुद्रा में ध्यानबद्ध - पद्मासन योगमुद्रा में मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र तक ध्यान लगया जा सकता है । इसमें त्राटक का ध्यान भी लगाया जा सकता है ।
लाभ - पद्मासन , बद्ध - पद्मासन एवं योग मुद्रा से सम्बन्धित सभी लाभ इस एक आसन में मिल जाते हैं । अतिरिक्त लाभ के रूप में इससे सम्पर्ण शरीर की सुडौलता , लचीलापन , सुघड़ता प्राप्त होती है । सम्पूर्ण शरीर की कान्ति का विकास होता है । इस आसन का ध्यान चेतना की स्फूर्ति , आनन्द , एकाग्रता , प्रफुल्लता आदि सहज में प्रदान करता है । गहरा ध्यान विलक्षण शक्तियों को जन्म देता है ।
सावधानियाँ :
1 . उत्तर दिशा की ओर मुँह करके आसन न लगाएँ ।
2 . शरीर के किसी भी अंग का संचालन झटके से या जोर देकर न करें ।
3 . प्रारम्भ में कमर से झुकते समय आप अधिक नहीं झुक सकते । । धीरे - धीरे अभ्यास करते रहने से ही सफलता प्राप्त होती है ।
4 . प्रत्येक दिन शरीर के जोड़ों पर सरसों तेल की मालिश करें ।