इस आसन में वज्रासन और योगमुद्रा दोनों का योग है , इसीलिए इसे वज्रासन योगमुद्रा कहते हैं।
प्रायोगिक विधि - भूमि पर आसन बिछा लें । घुटनों के बल वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएँ । अपने दोनों हाथ कमर के पीछे ले जाइए । किसी एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई पकड़े । साँस को धीरे - धीरे बाहर निकालते हुए सामने की ओर झुकिए । दुड़ी को दोनों घुटनों के बीच सटाकर माथा भूमि से लगाइए । बाह्य कुम्भक कीजिए और जब तक सरलतापूर्वक रह सकें , । इस आसन में रहिए । फिर पूरक करते हुए । वज्रासन की मुद्रा में आ जाइए । इस आसन को दोनों हाथ ऊपर उठाकर भी कर सकते हैं । हाथ उठे हुए हों , तो हथेलियाँ प्रणाम की मुद्रा में हों और जब माथा भूमि से लगे , तो दोनों बाहें कनपटियों के दोनों ओर से , सामने पूर्ण तने , भूमि पर हों । |
वज्रासन योग मुद्रा में ध्यान - इस । मुद्रा में रीढ़ की हड्डी पर ध्यान लगाया जाता | है । कमर एवं रीढ़ के जोड़ और कंधों एवं गर्दन के जोड़ पर ध्यान लगाने से जीवनी शक्ति बढ़ती है । इस आसन में कुंडलिनी के आठों चक्र का ध्यान लगाया जा सकता है । इसमें त्राटक विन्दु को भी साधा जा सकता है ।
लाभ - इस आसन से पाँवों , जाँघों , पेट , छाती , बाजू आदि सशक्त , लचीले और सुडौल होते हैं । यह छाती , श्वास और गले के रोगों को दूर करता है । कमर , रीढ़ , गर्दन की हड्डी मजबूत एवं लचीली होती है । मुटापा कम होता है । इस आसन में ध्यान लगाने से जीवनी - शक्ति , स्फूर्ति , चेतना आदि विकसित होती है । आनन्द , उल्लास प्राप्त होता है । ध्यान की गहनता का अभ्यास पर अनेक प्रकार का लाभ होता है।
सावधानियाँ
1 . उत्तर दिशा की ओर मुंह करके आसन न लगाएँ ।
2 . शरीर के अंगों को इच्छित मुद्रा में मौड़ते समय सावधानी रखें । पहलेवज्रासन का पूर्ण अभ्यास करें । तत्पश्चात् उसमें योगमुद्रा आसन लगाएँ ।
प्रायोगिक विधि - भूमि पर आसन बिछा लें । घुटनों के बल वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएँ । अपने दोनों हाथ कमर के पीछे ले जाइए । किसी एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई पकड़े । साँस को धीरे - धीरे बाहर निकालते हुए सामने की ओर झुकिए । दुड़ी को दोनों घुटनों के बीच सटाकर माथा भूमि से लगाइए । बाह्य कुम्भक कीजिए और जब तक सरलतापूर्वक रह सकें , । इस आसन में रहिए । फिर पूरक करते हुए । वज्रासन की मुद्रा में आ जाइए । इस आसन को दोनों हाथ ऊपर उठाकर भी कर सकते हैं । हाथ उठे हुए हों , तो हथेलियाँ प्रणाम की मुद्रा में हों और जब माथा भूमि से लगे , तो दोनों बाहें कनपटियों के दोनों ओर से , सामने पूर्ण तने , भूमि पर हों । |
वज्रासन योग मुद्रा में ध्यान - इस । मुद्रा में रीढ़ की हड्डी पर ध्यान लगाया जाता | है । कमर एवं रीढ़ के जोड़ और कंधों एवं गर्दन के जोड़ पर ध्यान लगाने से जीवनी शक्ति बढ़ती है । इस आसन में कुंडलिनी के आठों चक्र का ध्यान लगाया जा सकता है । इसमें त्राटक विन्दु को भी साधा जा सकता है ।
लाभ - इस आसन से पाँवों , जाँघों , पेट , छाती , बाजू आदि सशक्त , लचीले और सुडौल होते हैं । यह छाती , श्वास और गले के रोगों को दूर करता है । कमर , रीढ़ , गर्दन की हड्डी मजबूत एवं लचीली होती है । मुटापा कम होता है । इस आसन में ध्यान लगाने से जीवनी - शक्ति , स्फूर्ति , चेतना आदि विकसित होती है । आनन्द , उल्लास प्राप्त होता है । ध्यान की गहनता का अभ्यास पर अनेक प्रकार का लाभ होता है।
सावधानियाँ
1 . उत्तर दिशा की ओर मुंह करके आसन न लगाएँ ।
2 . शरीर के अंगों को इच्छित मुद्रा में मौड़ते समय सावधानी रखें । पहलेवज्रासन का पूर्ण अभ्यास करें । तत्पश्चात् उसमें योगमुद्रा आसन लगाएँ ।