37 . तुलासन

इस आसन में सम्पूर्ण शरीर का भार तराजू के समान बाहों पर तुलता है । इसलिए इसे तुलासन कहते हैं । इसे झूलासन ' एवं ' उत्थित - पद्मासन ' भी कहते हैं ।




प्रायोगिक विधि - भूमि पर आसन बिछाकर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाइए। दोनों बाहों को दोनों घुटनों के पीछे जाँघों की ओर करके हाथ घुटनों से ऊपर जांघों की ओर करके हाथ घुटनों से ऊपर जाँघों से सटा लें । पूरक साँस लेकर कुम्भक करें । हथेलियों को भूमि पर टिकाते हुए पद्मासन की ही मुद्रा में शरीर को ऊपर उठाइए । इस प्रकार आप शरीर के भार को हथेलियों के सहारे बाहों पर उठाए रहिए । सरलतापूर्वक जब तक इस आसन में रह सकते हैं , रहे । कुम्भक तोड़ते हुए रेचक कीजिए और वापस शरीर को भूमि पर ले आए । यह आसन प्रारम्भ में एक बार , बाद में पाँच बार तक किया जाता है।

तुलासन में ध्यान - यह योग आसन है । इसमें पद्मासन में लगने वाले सभी ध्यान लगाए जा सकते हैं ।

लाभ - इस आसन में पद्मासन के सभी लाभ मिलते हैं । इसके साथ  बाहों , हाथों , कंधों को मजबूती मिलती है । इससे पीठ एवं कंधों के दर्द समाप्त होते हैं । इससे सम्पूर्ण शरीर की अतिरिक्त चर्बी निकल जाती है । इस आसन में सामान्य गृहस्थों को ध्यान नहीं लगाना चाहिए ।

सावधानियाँ 
1 . उत्तर दिशा की ओर सिर करके  यह आसन न लगाएँ ।
2 . शरीर के अंगों तुलासन का संचालन धीरे - धीरे करें । पहले पद्मासन का अभ्यास करें । इसके बाद ही यह आसन लगाएँ । 
3 . हाथ के पंजों एवं कलाइयों पर तथा पैरों के गठे , घुटने एवं पंजों पर रात को सोते समय सरसों तेल की मालिश करें । 
4 . शरीर को उठाने में अभ्यास करना पड़ता है । धीरे - धीरे अभ्यास करें ।