38 . कुक्कुटासन

 ' कुक्कुट ' मुर्गे को कहते हैं । इस आसन में शरीर की स्थिति मुर्गे की आकृति की हो जाती है , इसलिए इसे कुक्कुटासन कहते हैं ।




प्रायोगिक विधि - भूमि पर दरी बिछाकर सर्वप्रथम पद्मासन लगाएँ । अब दोनों हाथों को दोनों घुटनों के नीचे टाँगों एवं जांघों के मोड़ के बीच से निकाल कर नीचे ले जाएँ । हाथों की हथेलियों एवं पंजों को भूमि पर टिकाएँ, पंजे एक - दूसरे से विपरीत दिशा में हों । पूरक सँस लेते हुए कुम्भक लगाइए । हाथों के बल शरीर को ऊपर उठाइए । शरीर का सारा भार हाथों पर उठाइए । जितनी देर तक सहन हो , इस स्थिति में रहें । अब शरीर को रेचक करते हुए भूमि पर उतारिए । पद्मासन भी खोल दें । प्रारम्भ में यह आसन एक बार ही लगाएँ । धीरे - धीरे बढ़ाकर इसे पाँच बार तक किया जा सकता है ।

कुक्कुटासन में ध्यान - इस आसन में मेरुदंड और रीढ़ की हड्डी के जोड़ एवं हृदय - स्थल में ध्यान  लगाया जाता है । यह कठिन आसन है । इसमें ध्यान लगाने के लिए इस आसन का वृहद् अभ्यास आवश्यक है , अतः यह आसन गृहस्थों के ध्यान लगाने के लिए नहीं है ।

लाभ - इससे पद्मासन के सभी लाभ होते हैं । पेट की चर्बी दूर होती है । जठराग्नि कुक्कुटासन प्रदीप्त होती है । भूख लगती है । शरीर में स्फूर्ति एवं बल मिलता है । बाहों , कंधों , पंजों के साथ पीठ की पेशियाँ मजबूत और लचीली होती हैं । यह आसन सम्पूर्ण शरीर का व्यायाम हैं । इससे रक्त - शोधन होता है और आलस्य भागता है ।

सावधानियाँ 
1 . उत्तर दिशा की ओर मुंह करके आसन न लगाएँ । 
2 . टाँग एवं जाँघों के मोड़ के बीच से हाथं निकालने में अभ्यास करना  होता है । जाँघों से पैरों तक एवं बाहों से हथेलियों और उँगलियों तक अच्छी तरह सरसों तेल लगाएँ । 
3 . यह कठिन आसन है । इसकी प्रत्येक क्रिया के अभ्यास में समय लगता है । इस पर धीरे - धीरे अभ्यास के द्वारा ही विजय प्रा जा सकती है ।