41 . अर्द्ध - मत्स्येन्द्रासन

यह मत्स्येन्द्रासन का एक सरल रूप है । गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ , जिसे लोग मछेन्द्रनाथ भी कहते हैं , जिस आसन में समाधि लगाते थे , उसे मत्स्येन्द्रासन कहते हैं । मत्स्येन्द्रासन एक दुष्कर आसन है । इसलिए इसे सरल करके इस रूप में परिवर्तित किया गया है । यह रूप भी सरल नहीं है। काफी अभ्यास करने के पश्चात् ही यह आसन सधता है ।




प्रायोगिक विधि - दरी या कम्बल भूमि पर बिछाकर बैठ जाइए । पैरों को सामने की ओर फैलाएं । दाईं टाँग को घुटने से मोड़कर थोड़ा सा उठाइए । बाईं टाँग को दाई के नीचे से निकालकर इसकी ऐड़ी दाएँ नितम्ब से लगाइए । अब दायें घुटने को पकड़कर ऊपर उठाइए । पैर को बाई जाँघ या घुटने के पास रखकर पाँव को सीधा करिए । रेचक करके कुम्भक लगाइए । इसके बाद दाएँ हाथ से दाएँ घुटने के पास दवाव देकर उसे बाईं ओर झुकाइए । बाईं भुजा और कोहिनी को दाएँ घुटने से सटाकर चित्र की स्थिति में लाएँ  । इस हाथ से दाएँ पैर का पंजा पकड़िए । कमर और पेट को दाईं ओर मरोड़कर गर्दन और सिर चित्र के अनुसार नीचे की  ओर घुमाइए । दाहिने हाथ को कमर के पीछे ले जाकर बाईं जाँघ पकड़िए । दाएँ पैर का अंगूठा , घुटना , बाय कन्धा , ठोढ़ी और दायाँ कंधा एक सीध में होना चाहिए । |इस आसन को टॉग और हाथ को बदलकर भी किया जा सकता आरम्भ में यह आसन 5 सेकेण्ड , बाद में 45 सेकेण्ड तक किया जा सकता है ।

अर्ध - मत्स्येन्द्रासन में ध्यान - यह एक योग - सिद्धि आसन है । इसमें सभी प्रकार का ध्यान लगाया जा सकता है ।

लाभ - यह मेरुदंड को लचीला और मजबूत बनाता है । यह कमर , कंधों , बाजुओं , जाँघों , पीठ आदि की पेशियों को मजबूत बनाकर उसकी चर्बी दूर करता है और इन्हें सुडौल बनाता है । जठराग्नि प्रदीप्त होती है । रक्त - संचार स्वस्थ गति से होता है । पेट एवं आंतों के रोग समाप्त होते हैं । शरीर की हड़ियाँ मजबूत होती हैं । पेशियों एवं नसों को बल मिलता है । इस आसन से मधुमेह एवं कमर का दर्द दूर होता है । इस आसन में ' ध्यान ' लगाने से ' ध्यान ' के स्तर के अनुसार मानसिक लाभ प्राप्त होता है । आनन्द , स्फूर्ति , उल्लास आदि तो सहज ' ध्यान ' से ही प्राप्त होता है ।

सावधानियाँ 
1 . उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन लगाना उचित नहीं है ।
 2 . यह एक कठिन आसन है । शरीर के अंगों को कई रूपों में मोड़ना पड़ता है । अंगों को मोड़ने का अभ्यास धीरे - धीरे और एक - एक करके करें । 
3 . सम्पूर्ण शरीर पर रात में प्रत्येक दिन सरसों के तेल की मालिश करें ।