45 . कूर्मासन

शरीर को कछुए की आकृति में मोड़कर आसन लगाने के कारण इस आसन को कूर्मासन कहते हैं ।




प्रायोगिक  विधि — आसन बिछा कर उस पर बैठ जाइए । दोनों टाँगों को सामने की ओर फैला लीजिए । इन्हें घुटनों से मोड़कर थोड़ा ऊपर उठाइए। दोनों हाथों को दोनों टाँगों से बाहरनिकालिए । दोनों हाथों को पीछे कमर की ओर ले  जाइए । दोनों हाथों की उँगलियाँ एक - दूसरे से सटा लें । रेचक करते हुए कमर से आगे की ओर झुकें । धीरे - धीरे सिर को दोनों टाँगों के बीच भूमि  से लगाएँ । कुम्भक लगाइए और तब तक आसन की स्थिति में रहिए , जब तक आप सहन कर कूर्मासन कर सकें । इसके बाद पूरक करते हुए वापस लौट आइए ।

कूर्मासन में ध्यान - - इस आसन में रीढ़ की हड्डी के निचले नुकीले जोड़ पर ध्यान लगाइए और इससे जीवनी - शक्ति को ऊपर की ओर खींचने का प्रयत्न कीजिए ।

लाभ - मुटापा दूर होता है । रीढ़ की हडी लचकीली एवं मजबूत होती है । मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह तेज हो जाने के कारण मानसिक विकारों का शमन होता है । कब्ज और आतों के विकार दूर होते हैं । मधुमेह एवं पेट - रोगों को ठीक करने के लिए यह एक उपयुक्त आसन है । । इस आसन में ध्यान लगाने से मानसिक शान्ति , स्फूर्ति और सक्रियता सहज में ही प्राप्त हो जाती है । गहन ध्यान विलक्षण गुणों से युक्त करता है ।