8 . योगमुद्रा आसन

योग में योगमुद्रा का बड़ा महत्व है । यह अनेक रोगों को दूर करता है । साथ - साथ शरीर को लचकीला और सुडौल बनाता है । इससे विभिन्न आसन लगाने में सुविधा होती है । यह सम्पूर्ण शरीर का व्यायाम है ।



 प्रायोगिक विधि - योगमुद्रा आसन लगाने के लिए सर्वप्रथम पद्मासन की मुद्रा में बैठे । दोनों बाहों को मोड़कर हाथों को पीठ के पीछे ले जाएँ और एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई पकड़ लें । दृष्टि को सामने की ओर सीधी रखें । आपकी कमर , रीढ़ , पीठ एवं गर्दन भी सीधी होनी चाहिए । लम्बी साँस लें । आँखें बन्द करके धीरे - धीरे रेचक करें ( साँस बाहर निकालिए ) । पेट को पिचका कर सामने की ओर झुकिए । इतना झुकिए योग कि आपका सिर भूमि से जा लगे । फिर साँस रोके हुए इस मुद्रा में रहें। ( लम्बे समय तक योगमुद्रा आसन करने में साँस का रोकना आवश्यक नहीं है , किन्तु इसकी गति धीमी होनी चाहिए । )

योगमुद्रा आसन में ध्यान - योगमुद्रा आसन सम्पूर्ण शारीरिक व्यायाम है । प्रत्येक पेशियां एवं अंग इस आसन के अभ्यास से स्वस्थ होते हैं । लेकिन ' ध्यान ' लगाने के लिए इस आसन का प्रयोग करने से मस्तिष्क की चेतना तरंगे शक्तिशाली होती हैं । सिर की नाड़ियों में रक्त का गमन नियंत्रित होता है। माथा धरती पर लगने से ललाट का ऊपरी हिस्सा धरती के समीप आता है।  इससे त्राटक बिंदु पर दबाव पड़ता है । इस अवस्था से एकाग्रता प्राप्त करना आसान होता है।

लाभ - योगमुद्रा आसन में ध्यान लगाने से मन्दाग्नि समाप्त होती है । बदहजमी दूर होती है । कोष्ठबद्धता समाप्त होती है । शरीर की पेशियाँ , नाड़ियां, स्नायु आदि मजबूत , लचीले एवं स्वस्थ होते हैं । इस आसन से मधुमेह एवं मोटापा दूर होता है । इस आसन में ' ध्यान ' लगाने से शरीर के प्रत्येक अंग की कान्ति , त्वचा की चमक , दृष्टि की शक्ति , बालों की बीमारियाँ आदि दूर होती हैं । मानसिक एवं बौद्धिक लाभ असीमित हैं । इन लाभों की प्राप्ति ' ध्यान ' के स्तर के अनुसार होती है।

सावधानियाँ-
1 . उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन न लगाएँ ।
2 . यह एक कठिन आसन है । इसके लिए सर्वप्रथम पद्मासन का अभ्यास करें । माथा भूमि पर टिकाने में प्रारम्भ में कठिनाई होती है । जल्दबाजी न करें । अभ्यास से इसमें सफलता मिलेगी ।
3 . 5 सेकेण्ड से प्रारम्भ करके इसे 15 मिनट तक किया जा सकता है , किन्तु सामान्यतया 5 मिनट ही बहुत हैं ।