अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन) प्राणायाम

अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन) प्राणायाम की विधि 
– बहुत कम लोगों को पता है कि नाड़ी शोधन कोई प्राणायाम नहीं, बल्कि एक पूरी प्रक्रिया है जिसकी शुरुवात अनुलोम विलोम प्राणायाम से होती है ! नाड़ी शोधन प्रक्रिया में एक बहुत साइंटिफिक तरीके से यह भावना करनी होती है कि शरीर के अंदर प्रवेश करने वाली वायु शरीर की विभिन्न नाड़ियों का शोधन कर रही है, अतः यह प्रक्रिया बिना गुरु के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन के संभव नहीं होती है !

इसलिए यहाँ हम सिर्फ अनुलोम विलोम प्राणायाम का ही वर्णन कर रहें हैं !
अनुलोम-विलोम करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें।फिर अपना दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के के दाएं छिद्र को बंद कर लें और बाएं छिद्र से भीतर की ओर सांस खीचें। अब बाएं छिद्र को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद करें। दाएं छिद्र से अंगूठा हटा दें और सांस छोड़ें। अब इसी प्रक्रिया को बाएं छिद्र के साथ दोहराएं। यही क्रिया कम से कम 10 बार, उलट — पलट कर करें। इसे प्रतिदिन 7–10 मिनट तक करने की आदत डालें।



अनुलोम-विलोम प्राणायाम के लाभ
– मानव शरीर में स्थित 72 हज़ार नाड़ियों को हर तरीके से शुद्ध करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है जिससे शरीर की असंख्य बीमारियों का नाश अपने आप धीरे धीरे होने लगता है।
– हृदय प्रदेश में ईश्वरीय प्रकाश (divine light or God light) का उदय करता है जिसे कुछ वर्ष बाद इसका अभ्यासी (yoga practitioner feel or observe) स्पष्ट महसूस करने लगता है !