सीत्कारी (शीतकारी) प्राणायाम करने की विधि
– बहुत कम लोगों को मालूम है कि सीत्कारी प्राणायाम और शीतली प्राणायाम दोनों की क्रिया विधि एक जैसी है बस दोनों में अंतर यह होता है कि सीत्कारी प्राणायाम में सांस को मुड़ी हुई जीभ से अंदर खीचने के बाद तुरंत नाक से बाहर निकाल देते हैं जबकि शीतली प्राणायाम में सांस को मुड़ी हुई जीभ से अंदर खीचने के बाद कुम्भक (अर्थात सांस को यथा संभव अंदर रोके भी रहता है) करता है फिर नाक से रेचक करके सांस को बाहर निकाल देता है !
सीत्कारी प्राणायाम के फायदे
इसके लम्बे अभ्यास से भूख प्यास पर विजय प्राप्त होती है ! शरीर चमकदार और चिर युवा रहता है ! पेट की गर्मी और जलन शांत होती है । शरीर पर स्थित झुर्रियां, फोड़ा, फुन्सिया, मुहांसे आदि का नाश होता है ! डायबिटीज जैसे जिद्दी रोगों में भी बहुत फायदेमंद है !