कुंभक प्राणायाम

कुंभक प्राणायाम करने की विधि 
– इसको करने के लिए आप पद्मासन अवस्था में बैठ जायें ! आपका सिर, आपकी कमर व आपकी गर्दन सीधी होनी चाहिए !
अब आप अपनी नाक के दोनों छिद्रों से सांस को अंदर लें (इसे पूरक कहते हैं) ! अब आप अपनी नाक के दोनों छिद्रों बंद करके अपनी सांस को अंदर रोकें रहें (इसे अभ्यंतर कुंभक कहा जाता है) इसके बाद आप अपनी नाक के दोनों छिद्रों को छोड़ दे और सांस को धीर धीरे छोड़ें (इसे रेचक कहा जाता है) !
जब तक सांस शरीर के अंदर रहे तब तक ईश्वर के अपने मनपसन्द रूप का ध्यान करें !


कुंभक प्राणायाम के लाभ 
– इस प्राणायाम को सर्वश्रेष्ठ प्राणायाम माना जाता है ! इस प्राणायाम को कुछ योगाचार्य प्लाविनी प्राणायाम भी कहते है ! जब तक योगी कुम्भक की अवस्था में रहता है तब तक उस पर कोई भी बीमारी, मृत्यु आदि असर नहीं कर सकते !
– इस प्राणायाम को करने से अध्यात्मिक उन्नति बहुत तेज होती है ! व्यक्ति को चमत्कारी सिद्धियाँ मिलती हैं ! शरीर के सभी रोगों का नाश होता है !
इस प्राणायाम करने वाले को धीरे धीरे अपने कुम्भक का समय बढ़ाते रहना चाहिए क्योंकि कुम्भक के समय एक क्षण के लिए भी किया गया ईश्वर का ध्यान करोड़ गुना फल देने वाला होता है !