बाह्य प्राणायाम (महाबंध या त्रिबंध) की विधि
– सुखासन या पद्मासन में बैठें। साँस को पूरी तरह बाहरनिकालने के बाद साँस बाहर ही रोककर रखने के बाद तीन बन्ध एक साथ लगाने पड़ते है ! ये तीनो बंध हैं — जालंधर बन्ध (गले को पूरा सिकोड कर ठोडी को छाती से सटा कर रखना है), उड़ड्यान बन्ध (पेट को पूरी तरह अन्दर पीठ की तरफ खीचना है), मूल बन्ध (मल विसर्जन करने की जगह को पूरी तरह ऊपर की तरफ खींचना है) ! इन तीनों बंध की विस्तृत विधि और लाभ नीचे दिए गएँ हैं !
बाह्य प्राणायाम (महा बंध या त्रिबंध) के लाभ (Advantages of Bahya Pranayama or Mahabandha or Tri bandha)–
– कुण्डलिनी महा शक्ति जगाने के लिए यह प्राणायाम बेजोड़ है ! इससे एक साथ मूलाधार चक्र, नाभि स्थित मणिपूरक चक्र व कंठ स्थित विशुद्ध चक्र जागृत होता है जिससे कई रहस्यमय सिद्धियाँ मिलती हैं और साथ ही शरीर के सभी रोगों का नाश होता है !
– तात्कालिक रूप से कब्ज, ऐसिडिटी, गैस आदि जैसी पेट की सभी समस्याओं से आराम मिलता है। हर्निया ठीक होता है। धातु, पेशाब से संबंधित सभी समस्याएँ मिटती हैं। मन की एकाग्रता बढ़ती है। संतान हीनता से छुटकारा मिलने में भी सहायक है।