क्या आप जानते है पानी पीने का सही तरीका ? जानिए क्या कहता है इसका विज्ञान ?

                                                                                                                                                   



पानी पीने का भी कोई तरीका होता है , शायद यह बात सुन कर आपको हसी आरही होगी लेकिन हमे पानी कब पीना चाहिए, कब नही , इस बात को जान लेना हमारे लिए अतिआवश्यक है| आपने अपने बड़े या बुजुर्गो से यह सुना होगा की भोजन के तुरन्त बाद पानी पीना चाहिए या नही और साथ ही जठराग्नि के विषय के बारे में भी सुना होगा | इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको जठराग्नि शब्द के पीछे छिपे विज्ञान से रूबरू कराएंगे और साथ ही आयुर्वेद में वर्णित " जल और उसके विज्ञान " के बारे में जानकारी देंगे |

जठराग्नि का विज्ञान:


जैसा की आपको पता होगा की हमारे स्वस्थ शरीर का तापमान 37° सेल्सियस होता है इसका मतलब यह की हमारे शरीर में बनने वाले सारे Enzymes 37℃ पर सुचारू रूप से कार्य है | ठीक इसी प्रकार जब भी हमे भूख लगती है और हम खाते है तो उस खाने को पचाने के लिए हमारे अमाशय (Stomach) में विभिन्न प्रकार के Enzymes (रसायन) का रिसाव होता है | सामान्यतः Digestive Enzymes (खाना पचाने में सहायक रसायन) का Optimum Temperature (वह तापमान जिस पर सक्रियता सबसे ज्यादा हो) 42℃ होता है जो की शरीर के सामान्य ताप से अधिक है | यह गर्म होता है | चूँकि यह जठर यानी पेट में होता है और गर्म होने के कारण आयुर्वेद में इसे "जठराग्नि" कहा गया है|

 कब कैसा पानी पिये:

1 मटके का पानी पीने के फायदे। 


   मट्टी के घड़े यानी की मटके का उपयोग हमे गर्मियों और बारिश के मौसम में प्रयोग करना चाहिए क्योंकि मटका पानी को शीतल रखता है | शाश्त्रो में मटके के पानी पीने के फायदे वर्णन किया गया है जैसे की मटके का पानी पीने से पाचनतंत्र सुचारू रूप से कार्य करता है और चयापचय (Metabolism) को बढ़ाता है| यही नही मटका पानी के विषैले पदार्थो को सोक लेता है और उसमे जरूरी मिनरल्स छोड़ देता है जिससे की demineralization (शरीर में मिनरल्स की कमी) नही होती है| एक मटके का उपयोग सिर्फ छः माह के लिए करना चाहिए |

2 ताम्बे के बर्तन का पानी पीने के फायदे। 


   ताम्बे के बर्तन का प्रयोग खास कर ठंड के दिनों में किया जाता है क्योंकि यह पानी की अत्यधिक ठंडा नही होने देता साथ ही ताम्बे के बर्तन में पानी को रखने से पानी में मौजूद जीवाणु (Bacteria) नष्ट हो जाते है | ताम्बे के बर्तन में रखे हुए पानी को पीने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है | ताम्बे के बर्तन का प्रयोग गर्मियों में नही करना चाहिए | ताम्बे के बर्तन में रखे हुए पानी को मटके में डालकर गर्मियों के मौसम में भी प्रयोग किया जा सकता है|

3 खाने के समय


   आपने अबतक सिर्फ खाने के बाद पानी ना पीने की बात सुनी होगी लेकिन खाने के पहले भी पानी ना पीने के बारे में नही सुना होगा| जब भी हमे भूख लगती है तो तो खाने को पचाने के लिए Enzymes का रिसाव होता है इसलिए जब भी हम खाने के ठीक पहले या बाद में पानी पीते है तो उससे enzymes dilute हो जाते है जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है | भारतीय महाऋषि वाघ भट्ट जी ने खाने खाने के तुरन्त बाद पानी पीने से 103 प्रकार की बीमारियों का वर्णन किया था जैसे कि कब्ज़, चयापचय का असंतुलित हो जाना, प्रतिरोधक क्षमता में कमी इत्यादि|

4 RO का पानी पीने के नुक्सान।


   हमे RO के पानी का प्रयोग कुछ ही परिस्थितियों में करना चाहिए | अगर आपके पानी में नामक या मिनरल्स की मात्रा सामान्य से अत्यधिक हो तो ही RO द्वारा फ़िल्टर पानी को प्रयोग में लाना चाहिए | RO के पानी पीने से शरीर में प्राकृतिक मिनरल्स की कमी आ जाती है जो की शरीर के विकास में बहुत बड़ी बाधा है |

5 Fridge का पानी पीने के नुक्सान।


    Fridge का पानी सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक होता है क्योंकि यह पानी के सामान्य तापमान से बहुत ज्यादा ठंडा होता है | फ्रिज के पानी को पीने से सिर्फ गला ही नही खराब होता बल्कि यह पेट की हर एक समस्या को बुलावा देता है जैसे कि कब्ज़ , अपच आदि | इसलिए हमे ठंडा पानी नही , शीतल जल को पीना चाहिए |